जो बरस सके तो कुछ ऐसे बरस रे मेघा,
जैसे पी मोरा तन छू जाए,
नाभी पर चुपके से मोरी,
चूमे और सिहरन दे जाए,
बूंद नीर पग झांझर बांधे,
वक्षों पर मोरे थिरकाए,
अंग अंग मोरा बनके मयूरा
रसिका सा पी का मन भाए,
जो बरस सके तो ऐसे बरस लीजो
प्रणय मिलन मेध अरू धरा का
जो पी देखे तो रोक न पाए
बिसर के अपनी चाक-चाकरी
थामे चूनर - उर मोरा लजाए
कर निर्वस्त्र पी के यौवन को
ताप-श्वास मुझमे समाए
कर मुझे तू उसकी राधिका
कान्हा वो मेरा हो जाए,
जो बरस सके तो बरस रे मेधा
जो पी से मिले मेरा देह बरस जाए,
प्रफुल्ल मनु मनमीत मिलन हो
नूतन प्रेम अंकुरित हो जाऐ
कर मुझको तुझ सा बावरा
मै बरसूं और पी मुझमें रमाऐ..
जैसे पी मोरा तन छू जाए,
नाभी पर चुपके से मोरी,
चूमे और सिहरन दे जाए,
बूंद नीर पग झांझर बांधे,
वक्षों पर मोरे थिरकाए,
अंग अंग मोरा बनके मयूरा
रसिका सा पी का मन भाए,
जो बरस सके तो ऐसे बरस लीजो
प्रणय मिलन मेध अरू धरा का
जो पी देखे तो रोक न पाए
बिसर के अपनी चाक-चाकरी
थामे चूनर - उर मोरा लजाए
कर निर्वस्त्र पी के यौवन को
ताप-श्वास मुझमे समाए
कर मुझे तू उसकी राधिका
कान्हा वो मेरा हो जाए,
जो बरस सके तो बरस रे मेधा
जो पी से मिले मेरा देह बरस जाए,
प्रफुल्ल मनु मनमीत मिलन हो
नूतन प्रेम अंकुरित हो जाऐ
कर मुझको तुझ सा बावरा
मै बरसूं और पी मुझमें रमाऐ..
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